65. खींच दो | Deshbkati Hindi Shayari
खींच दो अपने ख़ूँ से जमीं पर लकीर इस तरफ आने पाये ना रावण कोई तोड़ दो अगर कोई हाथ उठने लगे छू ना पाये सीता का दामन कोई राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियो अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
66. ऐ मेरे प्यारे वतन
ऐ मेरे प्यारे वतन,
ऐ मेरे पिछड़े चमन
तुझ पे दिल कुर्बान|
67. तेरे दामन से
तेरे दामन से जो आये, उन हवाओं को सलाम चूम लूँ मैं उस जुबां को जिस पे आये तेरा नाम सबसे सुन्दर सुबह तेरी सबसे सुन्दर तेरी शाम तुझ पे दिल कुरबान ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे पिछड़े चमन तुझ पे दिल कुर्बान।।
68. भारत की
भारत की फजाओं को सदा याद रहूँगा,
आजाद था, आजाद हूँ, आजाद रहूँगा।