Hasya Kavita | 11+ Best Hasya Kavita in Hindi

BEST HASYA KAVITA | HASYA KAVITA FOR KIDS

हमारे पास बेहतरीन व मज़ेदार हास्य कविता का संग्रह है


5. मायके जाती हो | hasya kavita in hindi

मायके जाती हो
तो आने का नाम नहीं लेतीं
लेने पहुंच जाओ
तो मां-बाप से किराए के दाम नहीं लेतीं
कपड़े
बाल-बच्चों के लिये
सिलवा कर ले जाती हो
तो भाई-भतीजों को दे आती हो
दो साड़ियां क्या ले आती हो
सारे मोहल्ले को दिखाती हो
साड़ी होती है पचास की
मगर सौ की बताती हो
उल्लू बनाती हो
हम समझ जाते हैं
तो हमें आंख दिखाती हो
हम जो भी जी में आया
बक रहे थे
और बच्चे
खिड़कियो से उलझ रहे थी
हमने सोचा-
वे भी बर्तन धो रही हैं
मुन्ना से पूछा, तो बोला-“सो रही हैं।”
हमने पूछा, कब से?
तो वो बोला-
“आप चिल्ला रहे हैं जब से।”

– शैल चतुर्वेदी


6. बस में थी भीड़ | hasya kavita in hindi

बस में थी भीड़
और धक्के ही धक्के,
यात्री थे अनुभवी,
और पक्के।

पर अपने बौड़म जी तो
अंग्रेज़ी में
सफ़र कर रहे थे,
धक्कों में विचर रहे थे ।
भीड़ कभी आगे ठेले,
कभी पीछे धकेले ।
इस रेलमपेल
और ठेलमठेल में,
आगे आ गए
धकापेल में ।

और जैसे ही स्टाप पर
उतरने लगे
कण्डक्टर बोला-
ओ मेरे सगे !
टिकिट तो ले जा !

बौड़म जी बोले-
चाट मत भेजा !
मैं बिना टिकिट के
भला हूं,
सारे रास्ते तो
पैदल ही चला हूं ।

अशोक चक्रधर


7. जो बुड्ढे खूसट | hindi hasya kavita

जो बुढ्ढे खूसट नेता हैं, उनको खड्डे में जाने दो
बस एक बार, बस एक बार मुझको सरकार बनाने दो।

मेरे भाषण के डंडे से
भागेगा भूत गरीबी का।
मेरे वक्तव्य सुनें तो झगडा
मिटे मियां और बीवी का।

मेरे आश्वासन के टानिक का
एक डोज़ मिल जाए अगर,
चंदगी राम को करे चित्त
पेशेंट पुरानी टी बी का।

मरियल सी जनता को मीठे, वादों का जूस पिलाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

जो कत्ल किसी का कर देगा
मैं उसको बरी करा दूँगा,
हर घिसी पिटी हीरोइन की
प्लास्टिक सर्जरी करा दूँगा;

लडके लडकी और लैक्चरार
सब फिल्मी गाने गाएंगे,
हर कालेज में सब्जैक्ट फिल्म
का कंपल्सरी करा दूँगा।

हिस्ट्री और बीज गणित जैसे विषयों पर बैन लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

जो बिल्कुल फक्कड हैं, उनको
राशन उधार तुलवा दूँगा,
जो लोग पियक्कड हैं, उनके
घर में ठेके खुलवा दूँगा;

सरकारी अस्पताल में जिस
रोगी को मिल न सका बिस्तर,
घर उसकी नब्ज़ छूटते ही
मैं एंबुलैंस भिजवा दूँगा।

मैं जन-सेवक हूँ, मुझको भी, थोडा सा पुण्य कमाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

श्रोता आपस में मरें कटें
कवियों में फूट नहीं होगी,
कवि सम्मेलन में कभी, किसी
की कविता हूट नहीं होगी;

कवि के प्रत्येक शब्द पर जो
तालियाँ न खुलकर बजा सकें,
ऐसे मनहूसों को, कविता
सुनने की छूट नहीं होगी।

कवि की हूटिंग करने वालों पर, हूटिंग टैक्स लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

ठग और मुनाफाखोरों की
घेराबंदी करवा दूँगा,
सोना तुरंत गिर जाएगा
चाँदी मंदी करवा दूँगा;

मैं पल भर में सुलझा दूँगा
परिवार नियोजन का पचड़ा,
शादी से पहले हर दूल्हे
की नसबंदी करवा दूँगा।

होकर बेधड़क मनाएंगे फिर हनीमून दीवाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

– अल्हड़ बीकानेरी


8. प्रकृति बदलती | hindi hasya kavita for students

प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो,
बदल रहे अणु, कण-कण देखो
तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो
भाग्य वाद पर अड़े हुए हो।।

छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली,
जीवन में परिवर्तन लाओ
परंपरा से ऊंचे उठ कर,
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ ।।

जब तक घर मे धन संपति हो,
बने रहो प्रिय आज्ञाकारी
पढो, लिखो, शादी करवा लो ,
फिर मानो यह बात हमारी।।

माता पिता से काट कनेक्शन,
अपना दड़बा अलग बसाओ
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ।।

करो प्रार्थना, हे प्रभु हमको,
पैसे की है सख़्त ज़रूरत
अर्थ समस्या हल हो जाए,
शीघ्र निकालो ऐसी सूरत।।

हिन्दी के हिमायती बन कर,
संस्थाओं से नेह जोड़िये
किंतु आपसी बातचीत में,
अंग्रेजी की टांग तोड़िये।।

इसे प्रयोगवाद कहते हैं,
समझो गहराई में जाओ
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ

कवि बनने की इच्छा हो तो,
यह भी कला बहुत मामूली
नुस्खा बतलाता हूं, लिख लो,
कविता क्या है, गाजर मूली

कोश खोल कर रख लो आगे,
क्लिष्ट शब्द उसमें से चुन लो
उन शब्दों का जाल बिछा कर,
चाहो जैसी कविता बुन लो

श्रोता जिसका अर्थ समझ लें,
वह तो तुकबंदी है भाई
जिसे स्वयं कवि समझ न पाए,
वह कविता है सबसे हाई

इसी युक्ती से बनो महाकवि,
उसे “नई कविता” बतलाओ
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ

चलते चलते मेन रोड पर,
फिल्मी गाने गा सकते हो
चौराहे पर खड़े खड़े तुम,
चाट पकोड़ी खा सकते हो |

बड़े चलो उन्नति के पथ पर,
रोक सके किस का बल बूता?
यों प्रसिद्ध हो जाओ जैसे,
भारत में बाटा का जूता

नई सभ्यता, नई संस्कृति,
के नित चमत्कार दिखलाओ
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ

पिकनिक का जब मूड बने तो,
ताजमहल पर जा सकते हो
शरद-पूर्णिमा दिखलाने को,
‘उन्हें’ साथ ले जा सकते हो

वे देखें जिस समय चंद्रमा,
तब तुम निरखो सुघर चांदनी
फिर दोनों मिल कर के गाओ,
मधुर स्वरों में मधुर रागिनी |
( तू मेरा चांद मैं तेरी चांदनी ..

आलू छोला, कोका-कोला,
‘उनका’ भोग लगा कर पाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ|

– काका हाथरसी

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