7. हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
Ho Gai Hai Peer Parvat Si Pighalani Chahiye | motivational poem in hindi
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
कवि – दुष्यंत कुमार | Dushyant Kumar
8. चल सको तो चलो
Chal Sako To Chalo Motivatinal Poem In Hindi
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो
इधर-उधर कई मंजिल है, चल सको तो चलो
बने बनाये हैं साँचे, जो ढल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम संभल सको तो चलो
यही है जिंदगी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें
इन्हें खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
हर एक सफ़र को है मह्फूज़ रास्तों की तलाश
हिफाज़तों की रिवायत बदल सको, तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ-धुआँ है फिज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको, तो चलो.
कवि – निदाफ़ाज़ली | Nida fazli